मोदी सरकार को एक बार फिर सत्ता में आए एक दिन भी नहीं गुजरा कि देश की अर्थव्यवस्था का हाल बेहाल हो गया, जीडीपी का स्तर एक बार फिर नीचे गिर गया। इसी के साथ बेरोजगारी दर ने उस आंकड़े को पार कर लिया जो दिखाता है कि देश में युवाओं का भविष्य किस ओर जा रहा है। जो पिछले 45 साल में नहीं हुआ वह मोदी सरकार के 5 साल में हो गया। तो कैसे तोड़ी मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था की कमर, कैसे युवाओं के साथ किया धोखा आइए जानते हैं।
अबकी बार मोदी सरकार 300 के पार है। इस प्रचंड जीत पर पीएम मोदी यह कहते नहीं थकते कि विकास पर विश्वास की वजह से विजय मिली है। युवाओं के साथ की वजह से चुनावी युद्ध में महा जीत हासिल हुई है। लेकिन अगर विकास जीत की वजह है तो फिर देश में विकास कहां है? आखिर युवाओं ने किस पर विश्वास जताया है। क्योंकि आंकड़े तो बताते हैं कि मोदी सरकार के राज में न तो रोजगार है और न ही विकास का नाम है। अगर है तो केवल गिरती हुई अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी दर।
रोजगार पर मौन रहने वाली मोदी सरकार ने ताजपोशी के ही अगले दिन मान लिया कि हमने 5 साल में रोजगार नहीं दिया। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी सीएसओ ने बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी करते हुए कहा की वित्तीय वर्ष 2017 से 18 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फ़ीसदी रही। बेरोजगारी की यह दर पिछले 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है। आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी की दर अधिक है। अलग-अलग दोनों की बेरोजगारी दर की बात करें तो देश स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2 जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फ़ीसदी है। लोग रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं। लेकिन ताज़ा आंकड़े देखें तो शहरों की हालत गांव से भी खराब है। शहरों में बेरोजगारी की दर गांव की तुलना में 2.5 फ़ीसदी अधिक है। 7.8 फ़ीसदी शहरी युवा बेरोजगार है तो वहीं गांव में यहां आंकड़ा 5.3 फ़ीसदी है।
देश का विकास रोजगार से होता है, युवाओं के साथ से होता है। लेकिन जब सरकार युवाओं के हाथ को काम नहीं देगी, उनका साथ नहीं देगी तो ऐसे में विकास दर का गिरना लाजमी है। इसलिए जिस रफ्तार से बेरोजगारी दर बढ़ रही है उसी रफ्तार से विकास दर गिर रही है। आंकड़ों के मुताबिक भारत की जीडीपी विकास दर चौथी तिमाही में घटकर 5.6 फ़ीसदी रही, इसके साथ ही भारत चीन से पिछड़ गया है। भारत ने डेढ़ साल में पहली बार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का रुतबा भी खो दिया है। यह आंकड़े साफ जाहिर करते हैं कि मोदी सरकार ने विकास के नाम पर वोट बटोर लिए लेकिन धरातल पर धोखे के अलावा कुछ नहीं दिया।
अबकी बार मोदी सरकार 300 के पार है। इस प्रचंड जीत पर पीएम मोदी यह कहते नहीं थकते कि विकास पर विश्वास की वजह से विजय मिली है। युवाओं के साथ की वजह से चुनावी युद्ध में महा जीत हासिल हुई है। लेकिन अगर विकास जीत की वजह है तो फिर देश में विकास कहां है? आखिर युवाओं ने किस पर विश्वास जताया है। क्योंकि आंकड़े तो बताते हैं कि मोदी सरकार के राज में न तो रोजगार है और न ही विकास का नाम है। अगर है तो केवल गिरती हुई अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी दर।
रोजगार पर मौन रहने वाली मोदी सरकार ने ताजपोशी के ही अगले दिन मान लिया कि हमने 5 साल में रोजगार नहीं दिया। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी सीएसओ ने बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी करते हुए कहा की वित्तीय वर्ष 2017 से 18 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फ़ीसदी रही। बेरोजगारी की यह दर पिछले 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है। आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी की दर अधिक है। अलग-अलग दोनों की बेरोजगारी दर की बात करें तो देश स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2 जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फ़ीसदी है। लोग रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं। लेकिन ताज़ा आंकड़े देखें तो शहरों की हालत गांव से भी खराब है। शहरों में बेरोजगारी की दर गांव की तुलना में 2.5 फ़ीसदी अधिक है। 7.8 फ़ीसदी शहरी युवा बेरोजगार है तो वहीं गांव में यहां आंकड़ा 5.3 फ़ीसदी है।
देश का विकास रोजगार से होता है, युवाओं के साथ से होता है। लेकिन जब सरकार युवाओं के हाथ को काम नहीं देगी, उनका साथ नहीं देगी तो ऐसे में विकास दर का गिरना लाजमी है। इसलिए जिस रफ्तार से बेरोजगारी दर बढ़ रही है उसी रफ्तार से विकास दर गिर रही है। आंकड़ों के मुताबिक भारत की जीडीपी विकास दर चौथी तिमाही में घटकर 5.6 फ़ीसदी रही, इसके साथ ही भारत चीन से पिछड़ गया है। भारत ने डेढ़ साल में पहली बार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का रुतबा भी खो दिया है। यह आंकड़े साफ जाहिर करते हैं कि मोदी सरकार ने विकास के नाम पर वोट बटोर लिए लेकिन धरातल पर धोखे के अलावा कुछ नहीं दिया।
No comments:
Post a Comment