वाराणसी संसदीय क्षेत्र सीट से पीएम मोदी को चुनौती देने का सपना देख रहे बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में दखल नहीं देगा, यानी साफ है कि तेज बहादुर यादव चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। तो क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।
बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव काफी उम्मीदें लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्हें लग रहा था कि शायद देश की सर्वोच्च न्यायालय से उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। मगर आज तेज बहादुर यादव की सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव के नामांकन रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अब इसके बाद साफ है कि वह वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। दरअसल चुनाव आयोग से नामांकन रद्द होने के बाद तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने कहा था कि मेरा नामांकन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से खारिज किया गया है, ऐसे में उन्हें 19 मई को होने वाले चुनाव में लड़ने की इजाजत दी जाए।
आज हुई सुनवाई के दौरान भी तेज बहादुर यादव की तरफ से प्रशांत भूषण ने कहा कि तेज बहादुर यादव ने अपनी बर्खास्तगी का आदेश नामांकन के साथ संलग्न नहीं किया, ऐसे में उन्हें अपना जवाब रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए। वो चुनाव को नहीं रोक रहे हैं वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि उन्हें चुनाव लड़ने दिया जाए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें दखल देने का कोई आधार नहीं मिला। जनहित याचिका के तौर पर इसमें दखल देने का आधार नहीं है। आपको बता दें कि तेज बहादुर ने नामांकन के दौरान जो हलफनामा दायर किए थे उसमें बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग-अलग जानकारियां दी गई थी। उन्होंने जब पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप 24 अप्रैल को वाराणसी से नामांकन किया था तब उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया। लेकिन बाद में जब समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने पर दोबारा नामांकन भरा तब उसमें यह जानकारी को छिपा लिया गया। वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर ने इसी तथ्य को आधार बनाते हुए तेज बहादुर यादव से सफाई मांगी थी। जिस पर चुनाव आयोग ने कार्यवाही की वहीं अब कोर्ट से भी उन्हें झटका लगा है।
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