पश्चिम बंगाल की लड़ाई को जीतने के लिए बीजेपी और टीएमसी ने अपनी पूरी जान लगा दी है। जहां हंगामे के बाद से ही पार्टियों में जीत की होड़ लगी है तो वहीं अब बीजेपी सांप्रदायिकता को हवा दे रही है। अब इस एजेंडे में पार्टी ने भगवान को भी नहीं बख्शा। ममता के मैजिक के आगे मोदी के तिलिस्म को बढ़ाने के लिए बीजेपी ने भगवानों का नामकरण कर ध्रुवीकरण की कोशिश भी की। बीजेपी जंगलों की देवी कही जाने वाली बोनबीबी का नाम बदलकर चुनावी जंग जीतने की जुगत में लगी है।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में चुनाव को जीतने के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति क्या मायने रखती है यह इतिहास की कहानी बयां करती है, लेकिन उस इतिहास की झलक वर्तमान में भी हूबहू दिखती है। इसी ध्रुवीकरण को अंजाम तक पहुंचाने के लिए नामकरण की सियासत से बीजेपी ने जंगलों की देवी कही जाने वाली बोनबीबी का नाम ही बदल दिया। दरअसल सुंदरवन क्षेत्र में स्थित देवी बोनबीबी को हिंदू और मुसलमान दोनों पूजते रहे हैं, लेकिन अब बोनबीबी को एक तरह से हिंदू देवी बताने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी के इस हिंदुत्व एजेंडे को लेकर मुस्लिम मतदाताओं में काफी आक्रोश है, उन्होंने खुद को बोनबीबी की पूजा से अलग करना शुरू कर दिया है।
बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि मुस्लिम कभी बोनबीबी की पूजा नहीं करते हैं। इस परंपरा को हिंदुओं ने ही जीवित रखा है और वे नियमित इनकी पूजा करते रहे हैं। इसलिए हम उन्हें बोनबीबी के बजाय बोनदेबी के नाम से संबोधित करते हैं, अब ग्रामीण उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं। लेकिन बीजेपी के इस नामकरण से उसके एजेंडे की झलक साफ नजर आती है। साफ है कि बीजेपी ममता के गढ़ में हिंदुत्व की राजनीति से सेंधमारी करने की कोशिश में है। लेकिन क्या इस बदलाव से उसे पश्चिम बंगाल में जीत मिलेगी? क्या हिंदुत्व का एजेंडा उसे हार से बचाएगा? अब यह देखना और भी दिलचस्प होगा।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में चुनाव को जीतने के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति क्या मायने रखती है यह इतिहास की कहानी बयां करती है, लेकिन उस इतिहास की झलक वर्तमान में भी हूबहू दिखती है। इसी ध्रुवीकरण को अंजाम तक पहुंचाने के लिए नामकरण की सियासत से बीजेपी ने जंगलों की देवी कही जाने वाली बोनबीबी का नाम ही बदल दिया। दरअसल सुंदरवन क्षेत्र में स्थित देवी बोनबीबी को हिंदू और मुसलमान दोनों पूजते रहे हैं, लेकिन अब बोनबीबी को एक तरह से हिंदू देवी बताने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी के इस हिंदुत्व एजेंडे को लेकर मुस्लिम मतदाताओं में काफी आक्रोश है, उन्होंने खुद को बोनबीबी की पूजा से अलग करना शुरू कर दिया है।
बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि मुस्लिम कभी बोनबीबी की पूजा नहीं करते हैं। इस परंपरा को हिंदुओं ने ही जीवित रखा है और वे नियमित इनकी पूजा करते रहे हैं। इसलिए हम उन्हें बोनबीबी के बजाय बोनदेबी के नाम से संबोधित करते हैं, अब ग्रामीण उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं। लेकिन बीजेपी के इस नामकरण से उसके एजेंडे की झलक साफ नजर आती है। साफ है कि बीजेपी ममता के गढ़ में हिंदुत्व की राजनीति से सेंधमारी करने की कोशिश में है। लेकिन क्या इस बदलाव से उसे पश्चिम बंगाल में जीत मिलेगी? क्या हिंदुत्व का एजेंडा उसे हार से बचाएगा? अब यह देखना और भी दिलचस्प होगा।
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