अभी कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि देश के 6 बड़े एयरपोर्ट के रखरखाव की जिम्मेदारी अडानी ग्रुप को 50 साल के लिए सौंप दी गई है। तर्क दिया गया कि अडानी ग्रुप की बोली सबसे ज्यादा थी इसलिए प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। लेकिन अब जो खबर सामने आई है उसने अडानी ग्रुप को एयरपोर्ट सौंपने की प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए हैं।
लखनऊ, जयपुर, अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुवाहाटी, और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट अडानी ग्रुप को 50 साल के लिए सौंप दिए गए हैं। नागरिक विमानन मंत्रालय का दावा है कि इन 6 एयरपोर्ट के लिए 10 कंपनियों की तरफ से कुल 32 तकनीकी बोलियां लगी। जिसमें अडानी की बोली सबसे ज्यादा थी। लेकिन मंत्रालय ने राज्यसभा समिति को इस बारे में जो बताया है वह काफी चौंकाने वाला है। नागरिक विमानन मंत्रालय ने समिति को बताया कि एयरपोर्ट अडानी को सौंपने के मामले में राज्यों को पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया। उनसे कोई बातचीत नहीं की गई। जबकि प्रक्रिया के अनुसार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एयरपोर्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड के जरिए पट्टे पर देने के लिए जनता से या फिर राज्यों से चर्चा करना जरूरी होता है।
ऐसे में केंद्र के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं कि अडानी समूह की कंपनी को एयरपोर्ट सौंपने से पहले राज्य सरकार और जनता से राय क्यों नहीं ली गई। हम आपको बता दें कि अडानी ग्रुप लंबे समय से एविएशन इंडस्ट्री में कदम रखने के लिए हाथ-पैर मार रहा था और इन ठेकों को हासिल करने के साथ ही अडानी ग्रुप को एविएशन इंडस्ट्री में भी प्रवेश मिल जाएगा। आपकी क्या राय है इस बारे में हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
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