आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार किसानों के गुस्से की आग में झुलस रही है। अन्नदाता के इसी आक्रोष को शांत कराने के लिए सरकार ने संसद में किसानों के लिए अपना खजाना खोल दिया। सरकार ने हर साल 6000 रुपये देने का वादा किया है लेकिन बावजूद इसके गुस्से का ज्वार थमता नजर नहीं आ रहा है। उल्टा अब तो किसानों ने जमीर की जंग छेड़ दी है और एक बार फिर सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। गाजियाबाद, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा के बाद एक बार फिर राजधानी दिल्ली की सड़कों पर उमड़ा किसानों का हुजूर इस बात की गवाही दे रहा है कि देश में किसानों की कोई कदर नहीं।
किसान कर्ज माफी और मुआवजे की मांग कर के थक चुके है लेकिन सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। सरकार चुनाव में लॉलीपॉप दिखाती है मगर बाद में केवल अन्नदाता की अनदेखी करती है इसीलिए किसानों ने भी नारा लगा दिया है की अबकी बार नहीं चाहिए मोदी सरकार। इस नारे के साथ हजारों किसान डीएनडी पर हल्ला बोल रहे हैं। दरअसल किसान भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर पीएम आवास का घेराव करने निकले थे लेकिन पुलिस ने उन्हें डीएनडी पर ही रोक दिया। जिसके बाद अन्नदाता अब सड़क पर ही प्रदर्शन कर रहे हैं हालांकि इस दौरान नोएडा के लिए एसएसपी और डीएम मौके पर पहुंचे और उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन बातचीत विफल रही।
किसानों की मांग है कि जमीन अधिग्रहण में उचित मुआवजा दिया जाए और साथ ही कर्ज माफी का भी वादा पूरा हो। लेकिन इस मांग को लेकर अभी तक सरकार की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है और ना ही कोई नुमाइंदा बातचीत के लिए पहुंचा है। इसीलिए किसानों का गुस्सा और भड़क रहा है और उन्होंने जमीन पर छिड़ी इस जंग को 7 फरवरी तक जारी रखने की धमकी दे डाली है। किसानों का कहना है कि अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो मोदी सरकार के लिए मुश्किल होगी। आपको बता दें कि जुलाई 2011 में किसानों के समर्थन में ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भट्टा परसौल से टप्पल तक पद यात्रा की थी। इस दौरान राहुल ने नए ज़मीन अधिग्रहण कानून को बनाने की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने नया कानून भी बनाया लेकिन अब तक इन किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया जिसे लेकर अब किसान हल्ला बोल रहे हैं।
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