देश में सबसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न का ऐलान हुआ है इसे लेकर सवाल उठाए जाने का सिलसिला जारी है। पहले कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए डॉक्टर शिवकुमार स्वामी को सर्वोच्च सम्मान देने की बात कही थी। इसके बाद योग गुरु बाबा रामदेव सन्यासियों के लिए पुरस्कार मांगा था। वहीं AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे लेकर सरकार पर सवालों के तीर दागे हैं।
हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की बड़ी हस्तियों को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाता है। इस साल यह पुरस्कार पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मशहूर गायक भूपेन हजारिका और समाजसेवी नानाजी देशमुख को देने की घोषणा की है, लेकिन इन पुरुस्कारों के एलान के बाद से ही इस पर सियासत भी छिड़ गई है। कोई पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सम्मान देने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है तो कोई सन्यासियों को भारत रत्न नहीं मिलने से नाराज है। वहीं AIMIM के ओवैसी ने भी दलितों और मुस्लिमों को भारत रत्न न दिए जाने पर आवाज बुलंद की है।
महाराष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुझे यह बताओ कि जितने भारत रत्न के अवार्ड दिए गए उनमें से कितने दलित, आदिवासी, मुसलमानों, गरीबों और ब्राह्मणों को दिए गए। ओवैसी यही नहीं रुके उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि बाबा साहेब को भी भारत रत्न दिल से नहीं दिया गया बल्कि यह सरकार की मजबूरी हो गई थी इसलिए सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान से नवाजा। उन्होंने कहा कि यह सरकार दलित और मुस्लिम विरोधी है। इस सरकार को सिर्फ अपना स्वार्थ नजर आता है इसीलिए उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मशहूर गायक भूपेन हजारिका और समाजसेवी नानाजी देशमुख के नामों पर मुहर लगाई।
आपको बता दें कि ऐसा कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल को साधने के लिए मोदी सरकार ने प्रणब मुखर्जी पर दांव लगाया है इसके जरिए बीजेपी ने यह बताने की कोशिश की है कि कांग्रेस ने प्रणब दा को पीएम न बनाकर उनकी अनदेखी की जबकि हमारी सरकार ने उन्हें सबसे बड़ा सम्मान दिया। वही भूपेन हजारिका के जरिये बीजेपी पर असम साधने के आरोप लग रहे हैं, जबकि नानाजी देशमुख को भारत रत्न से नवाज कर बीजेपी ने रूठे आरएसएस को मनाने की कोशिश की है।
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