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Monday, January 28, 2019

मुसलमान ईसा मसीह को मानते हैं लेकिन इस बड़ी वजह से नहीं मनाते क्रिसमस, यहां जानें सबकुछ

दोस्तों, क्रिसमस के बारे में हम सभी जानते हैं। यह त्यौहार जीसस के जन्म का स्मरण कराता है और पूरे विश्व में ईसाईयों का प्रमुख धार्मिक उत्सव है, लेकिन जीसस इस्लाम में भी में पूर्ण स्थान रखते हैं। हालाँकि ज्यादातर मुस्लिम क्रिसमस नहीं मनाते लेकिन कुछ मुस्लिम खासकर अमेरिका के मुस्लिम क्रिसमस मनाने में यकीन रखते है। यह बात आपको चौंका देगी भले ही इस्लाम ईसा मसीह के जन्म दिन यानि क्रिसमस  को नहीं मनाता है लेकिन इस्लाम धर्म जीसस की इज़्ज़त ज़रूर करता है।

जीसस, मैरी और देवदूत जिब्राइल सभी कुरान में भी मिलते हैं जैसे बाइबल के कुछ  चरित्र जैसे- आदम, नोवा, अब्राहम इत्यादि का कुरान में भी उल्लेख पाया जाता है। कुरान में ईसा मसीह को एक बहुत अहम शख़्सियत के तौर पर देखा जाता है जो पैगंबर मोहम्मद से भी पहले दुनिया में आए थे। सच तो यह है कि जीसस जिन्हें अरबी में ईसा भी कहते हैं, उनका  जिक्र पवित्र किताब कुरान में पैगंबर मोहम्मद से भी ज़्यादा बार हुआ है। मुस्लिमों का मानना है इसा खुदा के पैगंबर थे जो की कुंवारी मरियम यानी वर्जिन मैरी से पैदा हुए थे। मुस्लिम मानते हैं कि ईसा यानी जीसस कयामत से पहले न्याय करने याने झूठे मसीहा को हराने जमीन पर वापस आएंगे, यह सब ईसाईयों के जैसा ही लगता है।


मेरी को अरबी में मरियम कहा जाता है इस पर कुरान के अंदर पूरा एक चैप्टर दिया हुआ है। एक ही चैप्टर जो पूरे कुरान में किसी स्त्री पर आधारित है वह मरियम पर आधारित है। असल में मेरी ही एक ऐसी स्त्री है जिनका उल्लेख उनके नाम द्वारा किया गया है, पूरे कुरान में किसी भी स्त्री का किसी रिश्तेदार द्वारा उल्लेख किया गया है जैसे- आदम की पत्नी, मूसा की मां इत्यादि लेकिन मरियम का उल्लेख उन्हीं के नाम द्वारा किया गया है।

मुस्लिम मानते हैं कि जीसस चमत्कार किया करते थे। कुरान में उनके कुछ चमत्कारों की चर्चा की गई है जैसे- अंधे को आंख की रोशनी देना  , कोड़ी का इलाज करना, मुर्दे को ज़िंदा कर देना और मरी हुई चिड़िया जीवित करना। कुरान में ईसा मसीह के जन्म का भी जिक्र किया गया है लेकिन इस्लाम में यीशु के जन्म की जो कहानी बताई गई है उसमें ना तो जोसेफ है ना ही फरिश्ते ।

मरियम ने अकेले ही रेगिस्तान में ईसा को जन्म दिया था और एक सूखे हुए खजूर के पेड़ के नीचे पनाह ली थी और तभी एक चमत्कार हुआ और भूखी- प्यासी मरियम के खाने के लिए पेड़ से खजूर गिरने लगे और उनके पैरों के पास ही एक पानी का सोता फूट गया। एक एक अविवाहित महिला मरियम के पास एक नवजात बच्चे का होना उसके किरदार पर कई तरह के प्रश्नचिन्ह लगा सकता था लेकिन जैसे ही नवजात ईशा ने ईश्वर के दूत की तरह बोलना शुरू किया  और इस चमत्कार से वह निर्दोष साबित हो गई।

इस्लाम धर्म इसा से परिचित है क्योंकि सातवीं शताब्दी इस्लाम के उद्गम के समय में ईसाई धर्म मध्य पूर्व में काफी प्रचलित था हालांकि बाइबल में मोहम्मद का जिक्र नहीं है और इसकी वजह स्पष्ट है कि आने वाली शताब्दियों में इस्लाम ईसा मसीह की आराधना कर सकता है लेकिन इतना साफ है कि चर्च ने यह नरमी नहीं बरती। बता दें इटली के एक शहर बोलोग्ना में 15वीं शताब्दी के चर्च सेन पेट्रोनियो में एक तस्वीर है जिसमे मुस्लिम पैगंबर को नर्क में शैतानों द्वारा दी जा रही पीड़ा को सहते हुए दिखाया गया है। यही नहीं यूरोप में अनेक कलाकृतियां मुस्लिम पैगंबर की बेइज्जती वाली कहानियों को जगह देती है।

 इटली के कलाकार गिओवानी द मोदेना एक कवि दांते की प्रसिद्ध रचना डिवाइन कॉमेडी से काफी प्रेरित थे जिसमें दांते ने मोहम्मद को नर्क नौवा घेरा बताया था। इस किताब ने 19वीं शताब्दी में कई कलाकारों को प्रेरित किया और उन्होंने ऐसी रचनाएं बनायीं जिसमें मोहम्मद को नर्क में प्रताड़ना सहते हुए दिखाया गया है। इतना ही नहीं इन कलाकृतियों में अंग्रेजी कविता और पेंटिंग के स्तंभ माने जाने वाले विलियम ब्लैक की कलाकृतियां भी शामिल है। बेल्जियम चर्च में तो सत्रहवीं शताब्दी की मूर्तियों में इस्लाम के पैगंबरों को स्वर्ग दूतों के पैरों तले दबा हुआ दिखाया गया है, हालांकि चर्च अब इस तरह की समाज को बाटने वाली सोच का समर्थन नहीं करता है ।

सदियां गुजर जाने के बाद भी हमारे समाज में एक अलग ही तरह का तनाव, पूर्वाग्रह और चरमपंथी हिंसा आज भी मौजूद है। साल 2002 में इस्लामिक चरमपंथियों के उप्पेर बोलोग्ना चर्च की मूर्तियों को तोड़ने करने का शक गया था इसके बाद से इस्लाम धर्म के नाम पर यूरोप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के कई मुस्लिम देशों में सामूहिक हत्या को अंजाम दिया गया था जिसकी वजह से समाज में पहले से ही मौजूद दरारों के बीच एक और नई दरार पैदा हो गई।

 हमारा मानना है की मुस्लिम व ईसाई समाज के लिए ईसा मसीह की तलाश और उनके महत्व को समझना इस समय सबसे ज्यादा जरुरी है अगर हम कोशिश करें और यह समझ जाये कि वह कौन सी चीज है जो दुनिया में मौजूद सभी धर्मों को आपस में जोड़ सकती है  है तो शायद क्या पता हमें समाज में पनप चुकी इन दरारों को भरने में मदद मिल सके।


उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपका क्या कहना है इस बारे में हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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