रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है की डीएचएफएल से जुड़ी कंपनी ने पैसों की धोखाधड़ी की है। रिपोर्ट के मुताबिक वधावन ग्लोबल कैपिटल के स्वामित्व वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफएल के प्रमोटरों ने वधावन समूह के स्वामित्व वाली शैल कंपनियों को वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए हजारों करोड़ रुपए का उधार देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों से कथित रूप से असुरक्षित लोन लिया था, कहा गया है कि कर्ज अलग-अलग तरीके से हासिल किया गया। कंपनी ने कुल मिलाकर 36 बैंकों से धनराशि खर्च में जुटाई थी। इसमें सरकारी और निजी बैंकों के अलावा छह विदेशी बैंक भी शामिल है। इसमें भारतीय स्टेट बैंक से 11500 करोड रुपए और बैंक ऑफ बड़ौदा से 5000 करोड़ रुपए का कर्ज शामिल है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2014 से 17 के दौरान इन कंपनियों ने बीजेपी को लगभग 20 करोड़ रुपये का चंदा दिया था जो कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 182 का उल्लंघन है। इस खुलासे के बाद मोदी सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के बागी यशवंत सिन्हा ने कहा है कि इस मामले में एसआईटी जांच होनी चाहिए। अगर सरकार इस मामले में तुरंत जांच नहीं कराती तो उसके मंसूबों पर सवाल उठेंगे।
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