नमस्कार दोस्तों, आप सभी लोगों का स्वागत है। भारत आज भले ही खुद को विकसित देशों की श्रेणी में रख रहा हो लेकिन देश के ही अंदर कुछ चीजें ऐसी चल रही है। जो पुरानी परंपराओं को दर्शाती हैं। भारत आज जहां विश्व गुरु बनने का सपना देख रहा है। लेकिन भारत के ही कुछ गांव ऐसे हैं, जहां आज भी सैकड़ों साल पुरानी परंपराएं चल रही है। कभी-कभी यह परंपराएं ऐसी होती हैं जिन्हें सुनकर और देख कर हर कोई हैरान रह जाता है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं। भारत के ही गांव की ऐसी कहानी जिसको सुनकर शायद आपको विश्वास नहीं होगा । आज हम आपको बताएंगे हिमाचल प्रदेश के पीणी गांव एक ऐसी कहानी जो आपको हैरान कर देगी। आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी में पीणी गांव स्थित है। जहां आज भी सदियों पुराने परंपरा कायम है। यही नहीं इस परंपरा में यहां के लोगों का पूरा विश्वास भी है।
कहते हैं कि शादी विवाह के दौरान महिलाओं का मजाक और पति-पत्नी में नोक-झोक एक आम बात होती है। लेकिन इस गांव का मामला बिल्कुल उल्टा है। यहाँ ऐसा कुछ नहीं होता है। दरअसल पीणी गांव में जो रिवाज सदियों से चला आ रहा है। उसमें हर साल पति अपनी पत्नी से 5 दिनों तक बात नहीं करता है। यही नहीं यहां की महिलाएं साल के 5 दिन बिना कपड़ों के रहती हैं। यह महिलाएं अपना हर काम बिना कपड़ों के ही करती हैं। गांव के बड़े बुजुर्गों का मानना है कि अगर इस गांव की महिलाएं ऐसा नहीं करती हैं तो कुछ ना कुछ अशुभ जरूर होता है। यहां के लोग 5 दिनों तक शराब को हाथ भी नहीं लगाते हैं।
अब आप इस बात को लेकर जरूर सोच रहे होंगे कि ऐसी कैसी परंपरा है। जिसमें साल के 5 दिन बिना कपड़ों के रहना पड़ता है। चलिए आपकी जानकारी के लिए पूरा मामला बता देते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि सदियों पहले पीनी गांव में राक्षसों का आतंक था। वह राक्षस अच्छे और सुन्दर कपड़े पहनने वाली औरतों को उठा ले जाते थे। इस वजह से वहां की स्त्रियों ने वस्त्र पहनने छोड़ दिए थे। तब यहाँ लाहुआ घोड़ देवता आए थे और राक्षसों का उन्होंने विनाश किया और तभी से इनकी पूजा की जाती है।
भादो सक्रांति को ही काला महीना कहते हैं। लोगो का मानना है इन दिनों लाहुआ देवता आज भी गाँव में आते हैं। और बुराइयों से लड़ाई लड़ते हैं। इन 5 दिनों तक लोग गाँव में हँसना भी बंद कर देते हैं। तब से यह परंपरा आज तक कायम है। और इस गांव की महिलायें पांच दिन तक निर्वस्त्र रहती है और यह परंपरा सदियों से चलती भी आ रही है। दोस्तों वैसे इस परंपरा की अच्छी बात यह है कि इसकी वजह से लोग 5 दिन बुराई से एक दम तौबा कर लेते हैं। यही बात हमारा सनातन धर्म हम लोगों को बताता है कि बुराई से कटकर जीवन कितना सुखद होता है। आप खुद इसका अनुभव कर लें। और अपने जीवन में भी इन परम्पराओ के महत्व को समझे।
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