हमारे सोलर सिस्टम के सभी ग्रहों में से पृथ्वी पर ही अभी तक इतनी अधिक मात्रा में जल पाया गया है। जिसके कारण पृथ्वी पर लाइफ पॉसिबल है। हमारी लगभग हर क्रिया में हम जल का प्रयोग करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि पृथ्वी पर इतनी अधिक मात्रा में जल कहां से आया, नहीं? तो आइए जानते हैं।
हमारी पृथ्वी का जन्म डस्ट क्लाउड और गैस के मिलने से हुआ है जो कि आज से लगभग 4.6 बिलीयन साल पहले हुआ था। अब हम कुछ थ्योरी के बारे में बात करेंगे जो कि काफी हद तक इसके बारे में एक्सप्लेन कर देगी।
1- कुछ वैज्ञानिकों मानना है कि यह जल धूमकेतु अपने साथ पृथ्वी पर लाए हैं जोकि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण द्वारा खींच लिए गए हैं। पर 2014 में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि 67/P चूर्युमोव गेरासिमेको नाम का एक धूमकेतु जो कि रोजेटा मिशन में स्टडी किया गया था अपने साथ कुछ जल लाया था जो कि थोड़ा भिन्न था। तो हो सकता है कि कुछ धूमकेतु अपने साथ यह जल लाए हो पर सारे के सारे नहीं।
2- अब सवाल यह है कि अगर इतना जल धूमकेतु अपने साथ पृथ्वी पर नहीं लाए तो यह कहां से आया। क्या पृथ्वी पर पहले से ही इतना जल था, जब पृथ्वी का जन्म हुआ। जब कोई भी ग्रह बनता है तो डस्ट क्लाउड और गैस के मिलने से बनता है और यह छोटे-छोटे डस्ट और गैस मॉलिक्यूल मिलकर पूरा ग्रह बनाते हैं। तो यह संभव है कि इन मॉलिक्यूल के मिलते समय और ग्रह के बनते समय कुछ ऐसे रिएक्शन हुए हों जिनसे वॉटर मॉलिक्यूल तैयार हो गए हो या फिर जिन डस्ट क्लाउड से पृथ्वी बनी है वह पहले से ही अपने साथ वॉटर मॉलिक्यूल को लिए हुए थे।
हमारी पृथ्वी का जन्म डस्ट क्लाउड और गैस के मिलने से हुआ है जो कि आज से लगभग 4.6 बिलीयन साल पहले हुआ था। अब हम कुछ थ्योरी के बारे में बात करेंगे जो कि काफी हद तक इसके बारे में एक्सप्लेन कर देगी।
1- कुछ वैज्ञानिकों मानना है कि यह जल धूमकेतु अपने साथ पृथ्वी पर लाए हैं जोकि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण द्वारा खींच लिए गए हैं। पर 2014 में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि 67/P चूर्युमोव गेरासिमेको नाम का एक धूमकेतु जो कि रोजेटा मिशन में स्टडी किया गया था अपने साथ कुछ जल लाया था जो कि थोड़ा भिन्न था। तो हो सकता है कि कुछ धूमकेतु अपने साथ यह जल लाए हो पर सारे के सारे नहीं।
2- अब सवाल यह है कि अगर इतना जल धूमकेतु अपने साथ पृथ्वी पर नहीं लाए तो यह कहां से आया। क्या पृथ्वी पर पहले से ही इतना जल था, जब पृथ्वी का जन्म हुआ। जब कोई भी ग्रह बनता है तो डस्ट क्लाउड और गैस के मिलने से बनता है और यह छोटे-छोटे डस्ट और गैस मॉलिक्यूल मिलकर पूरा ग्रह बनाते हैं। तो यह संभव है कि इन मॉलिक्यूल के मिलते समय और ग्रह के बनते समय कुछ ऐसे रिएक्शन हुए हों जिनसे वॉटर मॉलिक्यूल तैयार हो गए हो या फिर जिन डस्ट क्लाउड से पृथ्वी बनी है वह पहले से ही अपने साथ वॉटर मॉलिक्यूल को लिए हुए थे।
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