मोदी सरकार को उद्योगपतियों की सरकार कहा जाता है। आरोप लगते रहे हैं कि जब से बीजेपी सत्ता में आई है कि देश की कई ऐतिहासिक धरोहर अंबानी और अडानी के हाथों में चली गई है। वहीं अब अंबानी परिवार की पहुंच बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर कमेटी तक भी बन गई है, जिसे लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
चुनाव से पहले उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। सरकार ने जहां कई नेताओं को राज्य मंत्री बनाया है तो वहीं कई समितियों में विशेष सदस्य नियुक्त किए हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने एक ऐसा ही फैसला मुकेश अंबानी के बेटे आनंद अंबानी के लिए भी लिया है। सरकार ने अनंत अंबानी को बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर कमेटी का सदस्य नियुक्त कर दिया है। चार धामों में शामिल इस मंदिर का इस समय प्रबंधन और प्रशासन यहीं कमेटी करती है, जिसमें अनंत को जगह मिली है। अनंत अंबानी के अलावा रावत ने 30 अन्य लोगों को विभिन्न सरकारी कॉरपोरेशन और संस्थाओं में नामित किया है। इसमें ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता है।
अंबानी परिवार का इन दोनों धामों से गहरा नाता है और हर बार जब भी उनके घर में कोई विशेष आयोजन होता है वे इन धामों की यात्रा पर आते हैं। कहा जा रहा है कि इसे देखते हुए ही सरकार ने यह फैसला लिया है। लेकिन इस फैसले को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मंदिर समिति एक्ट 1939 के सेक्शन 7 और 5 में साफ तौर पर तय है कि समिति का राजनीति से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में सरकार की ओर से अपने लोगों और कॉर्पोरेट घराने के लोगों को जगह देना समझ से परे है। वहीं कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि ऐसा करके सरकार ने एक तरह से केदारनाथ मंदिर को ही अंबानी परिवार के हवाले कर दिया है, जो मन मुताबिक फैसले लेंगे।
आपकी क्या राय है इस विषय पर हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
चुनाव से पहले उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। सरकार ने जहां कई नेताओं को राज्य मंत्री बनाया है तो वहीं कई समितियों में विशेष सदस्य नियुक्त किए हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने एक ऐसा ही फैसला मुकेश अंबानी के बेटे आनंद अंबानी के लिए भी लिया है। सरकार ने अनंत अंबानी को बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर कमेटी का सदस्य नियुक्त कर दिया है। चार धामों में शामिल इस मंदिर का इस समय प्रबंधन और प्रशासन यहीं कमेटी करती है, जिसमें अनंत को जगह मिली है। अनंत अंबानी के अलावा रावत ने 30 अन्य लोगों को विभिन्न सरकारी कॉरपोरेशन और संस्थाओं में नामित किया है। इसमें ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता है।
अंबानी परिवार का इन दोनों धामों से गहरा नाता है और हर बार जब भी उनके घर में कोई विशेष आयोजन होता है वे इन धामों की यात्रा पर आते हैं। कहा जा रहा है कि इसे देखते हुए ही सरकार ने यह फैसला लिया है। लेकिन इस फैसले को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मंदिर समिति एक्ट 1939 के सेक्शन 7 और 5 में साफ तौर पर तय है कि समिति का राजनीति से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में सरकार की ओर से अपने लोगों और कॉर्पोरेट घराने के लोगों को जगह देना समझ से परे है। वहीं कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि ऐसा करके सरकार ने एक तरह से केदारनाथ मंदिर को ही अंबानी परिवार के हवाले कर दिया है, जो मन मुताबिक फैसले लेंगे।
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