मनमोहन सिंह ने साल 2006 में वन अधिकार कानून पास किया तो लगा कि से जंगल में रहने वाले उन लोगों को न्याय मिलेगा जो पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। यह अधिकार भी उन्हें 150 साल चली लंबी लड़ाई के बाद मिला था लेकिन अब यह अधिकार भी खतरे में है और अब आदिवासियों को जंगल से बाहर करने की आशंका खड़ी हो गई है।
जिन आदिवासियों को राज्य सरकारों ने अभी तक जमीन पर अधिकार नहीं दिया है उन्हें अब बाहर किया जाएगा। करीब 1127000 आदिवासियों को उनके घरों से बेदखल करने की तैयारियां शुरू हो गई है। आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने का यह आदेश देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है और खास बात यह है कि कोर्ट में आदिवासियों के पक्ष में कोई दलील नहीं दी गई। क्योंकि देश में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना वकील तक आदिवासियों के पक्ष में नहीं भेजा जो वनाधिकार कानून को लेकर उनका बचाव करता।
आदेश सुप्रीम कोर्ट का है इसलिए अन्य राज्यों को भी अदालत का आदेश लागू करने के लिए बाध्य होना होगा जिसकी वजह से देश भर में अपनी जमीन पर से जबरदस्ती बेदखल किए जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जाएगी। आशंका है कि 16 राज्यों के लगभग 11 लाख आदिवासी जंगल की जमीन से बेदखल कर दिए जाएंगे। अदालत से आदेश एक वन्यजीव समूह द्वारा दायर की गई याचिका पर आया है जिसमें वन अधिकार नियम की वैधता पर सवाल उठाया गया था। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि पारंपरिक वन भूमि पर जिनके दावे कानून के तहत खारिज हो जाते हैं उन्हें राज्य सरकार द्वारा निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आदेश दे दिया कि 27 जुलाई तक उन सभी आदिवासियों को बेदखल कर दे जिनके दावे खारिज हो गए हैं।
जिन आदिवासियों को राज्य सरकारों ने अभी तक जमीन पर अधिकार नहीं दिया है उन्हें अब बाहर किया जाएगा। करीब 1127000 आदिवासियों को उनके घरों से बेदखल करने की तैयारियां शुरू हो गई है। आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने का यह आदेश देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है और खास बात यह है कि कोर्ट में आदिवासियों के पक्ष में कोई दलील नहीं दी गई। क्योंकि देश में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना वकील तक आदिवासियों के पक्ष में नहीं भेजा जो वनाधिकार कानून को लेकर उनका बचाव करता।
आदेश सुप्रीम कोर्ट का है इसलिए अन्य राज्यों को भी अदालत का आदेश लागू करने के लिए बाध्य होना होगा जिसकी वजह से देश भर में अपनी जमीन पर से जबरदस्ती बेदखल किए जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जाएगी। आशंका है कि 16 राज्यों के लगभग 11 लाख आदिवासी जंगल की जमीन से बेदखल कर दिए जाएंगे। अदालत से आदेश एक वन्यजीव समूह द्वारा दायर की गई याचिका पर आया है जिसमें वन अधिकार नियम की वैधता पर सवाल उठाया गया था। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि पारंपरिक वन भूमि पर जिनके दावे कानून के तहत खारिज हो जाते हैं उन्हें राज्य सरकार द्वारा निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आदेश दे दिया कि 27 जुलाई तक उन सभी आदिवासियों को बेदखल कर दे जिनके दावे खारिज हो गए हैं।
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