अगर आपको पता है कि आप के खिलाफ दर्ज किया गया मामला झूठा है तो आपको डरने की जरूरत ही नहीं है। अपने आप को सही साबित करने के लिए आपके पास जो भी साक्ष्य (एविडेंस) हैं आप उन्हें पुलिस को दिखाएं जैसे- वीडियो रिकॉर्डिंग, फोटो, कॉल रिकॉर्डिंग या कुछ भी जो आपको सही साबित करने में मदद पहुंचाए।
अगर ऐसे में वह पुलिस वाला आपकी बात मान लेता है तो उसके पास अधिकार होता है की वह एफ आई आर करने वाले के खिलाफ कार्यवाही करें इस स्थिति में झूठी है एफ आई आर करने वाले को 6 महीने की सजा 1000 रुपए जुर्माना होता है या फिर अगर कोर्ट चाहे तो दोनों भी कर सकती है।
झूठी एफआइआर होने से आपको हुई परेशानी के लिए ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए उनके विरुद्ध कार्यवाही जरूर करनी चाहिए ऐसे में आप आईपीसी की धारा 211 की मदद ले सकते हैं। ऐसे लोगों को सिखाना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक उन्हें सबक नहीं मिलेगा तो नहीं मानेंगे। के तहत झूठी रिपोर्ट लिखने वाले को 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है और अगर कोर्ट चाहे तो दोनों भी कर सकती है।
यहां पर जानने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है की अगर आप के खिलाफ लगाया गया झूठा आरोप संगीत है जैसे हत्या, रेप, हत्या का प्रयास आदि जिसमें दोषी पाए जाने पर आपको 7 साल की सजा हो सकती थी तो इस स्थिति में झूठी रिपोर्ट लिखाने वाले को 7 साल की सजा वह जुर्माना हो सकता है।
दूसरी स्थिति में यदि सारे एविडेंस दिखाने के बाद भी पुलिस नहीं मान रही है और वह आप को गिरफ्तार करना चाहती है तो इसके लिए आपको सीआरपीसी की धारा 482 के अंतर्गत हाई कोर्ट में अपील करनी पड़ेगी और जब तक आपकी अपील पर निर्णय नहीं हो जाता आपके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती।
अगर आपके खिलाफ वारंट भी निकला हुआ था तो वह भी खारिज हो जाएगा। यदि आप कोर्ट से साफ-साफ बरी हो गए तो आप झूठी एफआइआर करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत मानहानि का दावा कर सकते हो जिसमें 2 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
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