दोस्तों, भारत के जिस राज्य की हवा में बारूद की गंध घुली हो, जहां रोज तोप गोला गोलियों की बौछार की आवाज सुनाई देती हो, वहां कोई शख्स आतंकवादी से सैनिक बन जाए तो वह अपने आप में बेमिसाल है। कश्मीर के कुलगाम के नजीर अहमद वानी एक ऐसा नाम है जो आतंकवाद का रास्ता छोड़कर भारतीय सैनिक बने और फिर आतंकियों के खिलाफ लड़ कर शहीद हुए और अब उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा जा रहा है। आज हम आपको इसी जिंदादिल इंसान की कहानी बताने जा रहे हैं। सबसे पहले जानेंगे कि क्यों नबी अहमद आजकल सुर्खियों में है।
बानी शांति काल में दिए जाने वाले भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र के लिए चुने गए हैं। जम्मू कश्मीर के गांव के रहने वाले नादिर एक समय खुद आतंकवादी थे और बंदूक थाम कर बदला लेने निकले थे। पर कुछ समय बाद ही उन्हें गलती का एहसास हो गया और वह आतंकवाद छोड़कर सेना में भर्ती हो गए। पिछले साल 2018 को जब नादिर राष्ट्रीय राइफल के साथियों के साथ ड्यूटी पर थे तब इंटेलिजेंस ने एक गांव में हिजबुल लश्कर के 6 आतंकियों के छिपे होने की खबर दी । इंटेलिजेंस ने यह भी बताया था कि आतंकियों के पास भारी मात्रा में हथियार है।
नजीर अहमद वानी और उनकी टीम को आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी। पर जब नजीर की टीम मौके पर पहुंची तो आतंकियों को कहीं से भनक लग गई और आतंकियों ने खतरा देखते हुए भारी गोलीबारी शुरू कर दी और साथ ही ग्रेनेड भी फेंके, आतंकियों की यह हड़बड़ाहट देख बानी ने एक आतंकी को करीब से गोली मारकर खत्म कर दिया। 23 नवंबर 2018 को उनके साथियों ने कुल 6 आतंकियों को मार गिराया था जिसमें से दो को अकेले नजीर ने मारा। आतंकियों से लोहा लेते हुए वह गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।
26 नवंबर को सुपुर्द ए खाक होने से पहले नज़ीर अहमद वानी को उनके गांव में इक्कीस तोपों की सलामी दी गई थी। जब नज़ीर अहमद वानी की मौत हुई वह अपने पीछे पत्नी और बच्चे छोड़ गए। नज़ीर अहमद वानी को इस साल मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जा रहा है जो भारत का शांति काल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। आपको बता दें कि अशोक चक्र के बाद कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र का नंबर आता है। नज़ीर अहमद वानी की बहादुरी का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि वह दो बार सेना मेडल भी जीत चुके हैं।
उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी अगर पसंद आयी है तो कमेंट में जय हिन्द लिखना न भूलें।
बानी शांति काल में दिए जाने वाले भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र के लिए चुने गए हैं। जम्मू कश्मीर के गांव के रहने वाले नादिर एक समय खुद आतंकवादी थे और बंदूक थाम कर बदला लेने निकले थे। पर कुछ समय बाद ही उन्हें गलती का एहसास हो गया और वह आतंकवाद छोड़कर सेना में भर्ती हो गए। पिछले साल 2018 को जब नादिर राष्ट्रीय राइफल के साथियों के साथ ड्यूटी पर थे तब इंटेलिजेंस ने एक गांव में हिजबुल लश्कर के 6 आतंकियों के छिपे होने की खबर दी । इंटेलिजेंस ने यह भी बताया था कि आतंकियों के पास भारी मात्रा में हथियार है।
नजीर अहमद वानी और उनकी टीम को आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी। पर जब नजीर की टीम मौके पर पहुंची तो आतंकियों को कहीं से भनक लग गई और आतंकियों ने खतरा देखते हुए भारी गोलीबारी शुरू कर दी और साथ ही ग्रेनेड भी फेंके, आतंकियों की यह हड़बड़ाहट देख बानी ने एक आतंकी को करीब से गोली मारकर खत्म कर दिया। 23 नवंबर 2018 को उनके साथियों ने कुल 6 आतंकियों को मार गिराया था जिसमें से दो को अकेले नजीर ने मारा। आतंकियों से लोहा लेते हुए वह गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।
26 नवंबर को सुपुर्द ए खाक होने से पहले नज़ीर अहमद वानी को उनके गांव में इक्कीस तोपों की सलामी दी गई थी। जब नज़ीर अहमद वानी की मौत हुई वह अपने पीछे पत्नी और बच्चे छोड़ गए। नज़ीर अहमद वानी को इस साल मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जा रहा है जो भारत का शांति काल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। आपको बता दें कि अशोक चक्र के बाद कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र का नंबर आता है। नज़ीर अहमद वानी की बहादुरी का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि वह दो बार सेना मेडल भी जीत चुके हैं।
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