जब गोडसे से पूछा गया कि उन्होंने गाँधी जी को क्‍यों मारा, जवाब जानकर हैरान रह जाएंगे आप - WE ARE ONE

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Wednesday, January 30, 2019

जब गोडसे से पूछा गया कि उन्होंने गाँधी जी को क्‍यों मारा, जवाब जानकर हैरान रह जाएंगे आप

नाथूराम गोडसे का नाम तो आप सभी ने सुना होगा। भारत के इतिहास में नाथूराम गोडसे का जब भी जिक्र आता है तो उसे कातिल कहा जाता है। आज ही के दिन 30 जनवरी 1948 को अहिंसा के सबसे बड़े प्रवर्तक माने जाने वाले महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी थी, आखिर क्या वजह थी कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को जान से मार डाला। भारत के लोगों का मानना है कि नाथूराम गोडसे नहीं चाहते थे की गांधी जी पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये की धनराशि मदद के रूप में भेजे, जबकि नाथूराम गोडसे ने इसके पीछे की वजह कुछ और ही बताई थी। दरअसल बात साल 1948 के जनवरी महीने की है जब हमारे देश को अंग्रेजों से आज़ादी मिल चुकी थी और भारत पाकिस्तान का बँटवारा भी हो चुका था। उस समय पाकिस्तान से भाग कर हिंदू भारत में आकर शरण ले रहे थे और साथ ही पाकिस्तान से ट्रेन भर-भर के हिंदुओं की लाशें भारत भेजी जा रही थी। बताया जाता है उस समय का मंजर दिल को दहला देने वाला था।
इसी समय माउंटबेटन ने भारत से पाकिस्तान को 55 करोड रुपये देने का आग्रह किया ठीक इसी समय पाकिस्तान ने कश्मीर में हमला किया हुआ था और पाकिस्तान से हिंदुओं की लाशें भर कर ट्रेनों का आने का सिलसिला रूक नहीं रहा था जिसके चलते भारत सरकार ने इस मदद पर रोक लगा दी और इस बात से नाराज़ होकर गांधी जी ने भूख हड़ताल शुरू कर दी और पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये तुरंत देने की मांग की। इस बात से नाथूराम गोडसे गाँधी जी से बहुत नाराज़ हो गये लेकिन उस वक़्त तक उनके मन में गांधी जी को मारने का कोई विचार नहीं आया था और वह जैसे-तैसे इस बात को सहन कर गए।
उस वक्त तक तो नाथूराम गोडसे के मन में सिर्फ जिन्ना और मुस्लिमो के लिए नारजगी थी क्योंकि उन्ही की वजह से आये दिन हिंदुओं को क़त्ल किया जा रहा था और हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हो रहा था। लेकिन बात तो तब बिगड़नी शुरू हुई जब नाथूराम गोडसे दिल्ली में पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों के लिए बने एक कैंप में लोगों की सहायता कर रहे थे और तभी उनकी नजर दिल्ली में मौजूद एक मस्जिद पर गयी जहां से पुलिस जबरन लोगों को बाहर निकाल रही थी।
पाकिस्तान से भारत आए हिन्दू शरणार्थी कैंप सारे भर चुके थे और इसी कारण उनके पास मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे ही पनाह लेने के लिए बचे थे जहां जाकर ठंड और बारिश से बच सकते थे और इसी वजह से इन लोगों ने दिल्ली की इस मस्जिद को अपना घर बना लिया था लेकिन जब यह बात गांधी जी को पता लगी तो वह मस्जिद के बाहर ही धरने पर बैठ गए और वहां शरण लिए लोगों को बहार निकालने की डिमांड करने लगे तो उनके बात मान कर पुलिस ने ज़बरदस्ती लोगों को मस्जिद से निकाल दिया। बेघर ठंड और भूख से ठिठुर रहे छोटे बच्चों को रोते बिलखते देख वहां मौजूद नाथूराम गोडसे का खून खौल उठा और तभी उसने मन ही मन में ठान लिया कि वह गांधी जी को जान से मार कर ही रहेगा।
गोडसे का कहना था कि गांधी जी भूख हड़ताल करके अपनी हर जायज-नाजायज ज़िद मनवा लेते थे। उनको अपनी ज़िद मानवता और इन्साफ से कहीं बढ़कर लगती थी उनके इसी हटी स्वभाव की वजह से गोडसे ने ठान लिया कि भारत के विकास के लिए उन्हें गाँधी जी को मारना ही होगा। हालांकि एक बात यह भी है कि नाथूराम गोडसे ने भारत देश की आजादी में गांधी जी के योगदान को महत्वपूर्ण माना और इसकी काफी सराहना भी की थी। गोडसे ने गांधी जी की हत्या को वध का नाम दिया क्योंकि उनका मानना था कि उन्होंने एक गलत सोच रखने वाले इंसान को मारा जो अपनी ज़िद और स्वार्थ के आगे किसी को कुछ नहीं समझता था। गोडसे के अनुसार उन्होंने हालात को मद्देनज़र रखते हुए एकदम सही फैसला लिया था।
उम्मीद करते हैं दोस्तों कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपका क्या कहना है इस बारे में हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। ऐसी ही कई अन्य जानकारियों के लिए बने रहिए हमारे साथ, क्योंकि आप हैं तो हम हैं।

2 comments:

Comments System

Disqus Shortname