दोस्तों देश चाहे जितना आगे बढ़ जाए अर्थव्यवस्था के विकास के चाहे जितने दावे कर लिए जाएं लेकिन लगता नहीं कि कभी वह खाई मिट पाएगी जो सदियों से अमीरों और गरीबों को बांटते आई है। आज भी गरीब फर्स पर है और अमीर अर्स पर। यह दूरी कम होने के बजाय इतना बढ़ गई है कि अब जिसे लगता है कि विकास केवल अमीरों का हुआ है जबकि गरीब अब तक अंधकार के तले विकास की किरण ढूंढ रहा है।
सरकार आती रही वादों के पुलिंदे बंधते चले गए नेता मंच पर चढ़ते उतरते रहे और गरीबों को अमीर बनाने के सपने दिखाते रहे। किसी ने गरीबी मिटाने का ख्वाब दिखाया तो किसी ने लाखों रुपए देने का लेकिन गरीबी मिटाने के लिए कभी भी ईमानदार कोशिश नहीं हुई। अमीर और गरीब का फासला कम करने की बजाय नेताओं ने ऐसा विकास किया कि अमीर और अमीर हो गया जबकि गरीब कर्ज के बोझ के तले दबता चला गया।
गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की असमानता पर जारी वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 में अमीरों की आमदनी 39 प्रतिशत बढ़ी है जबकि निचले पायदान पर खड़े 50 प्रतिशत गरीबों की आय में मात्र 3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में देश के धन्ना सेठों की आमदनी में रोजाना 2200 करोड़ रुपए रोजाना तक की वृद्धि हुई। रिपोर्ट के अनुसार बता दें पिछले साल 18 नए अरबपति बने जिससे इनकी कुल संख्या 199 हो गई है। इनकी कुल आमदनी 28000 अरब रुपए से भी ज्यादा हो गई है।
साल 2008 के बाद से किसी एक साल में धन्ना सेठों की आय में यह सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। अरबपतियों की सूची में मात्र 9 महिलाएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार जहां धन्ना सेठों की आमदनी बढ़ रही है तो वहीं दूसरी ओर जन सेवाओं पर सरकारी खर्च या तो कम हो रहा है या निजी कंपनियों से इनकी आउटसोर्सिंग की जा रही है। इसका नतीजा यह है कि गरीब तबका इन सेवाओं से वंचित हो रहा है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अमीरों पर कर बड़ा कर सबको स्वास्थ्य शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाओं में सुधार करके गरीब और अमीर के बीच खाई कम की जा सकती है।
सरकार आती रही वादों के पुलिंदे बंधते चले गए नेता मंच पर चढ़ते उतरते रहे और गरीबों को अमीर बनाने के सपने दिखाते रहे। किसी ने गरीबी मिटाने का ख्वाब दिखाया तो किसी ने लाखों रुपए देने का लेकिन गरीबी मिटाने के लिए कभी भी ईमानदार कोशिश नहीं हुई। अमीर और गरीब का फासला कम करने की बजाय नेताओं ने ऐसा विकास किया कि अमीर और अमीर हो गया जबकि गरीब कर्ज के बोझ के तले दबता चला गया।
गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की असमानता पर जारी वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 में अमीरों की आमदनी 39 प्रतिशत बढ़ी है जबकि निचले पायदान पर खड़े 50 प्रतिशत गरीबों की आय में मात्र 3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में देश के धन्ना सेठों की आमदनी में रोजाना 2200 करोड़ रुपए रोजाना तक की वृद्धि हुई। रिपोर्ट के अनुसार बता दें पिछले साल 18 नए अरबपति बने जिससे इनकी कुल संख्या 199 हो गई है। इनकी कुल आमदनी 28000 अरब रुपए से भी ज्यादा हो गई है।
साल 2008 के बाद से किसी एक साल में धन्ना सेठों की आय में यह सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। अरबपतियों की सूची में मात्र 9 महिलाएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार जहां धन्ना सेठों की आमदनी बढ़ रही है तो वहीं दूसरी ओर जन सेवाओं पर सरकारी खर्च या तो कम हो रहा है या निजी कंपनियों से इनकी आउटसोर्सिंग की जा रही है। इसका नतीजा यह है कि गरीब तबका इन सेवाओं से वंचित हो रहा है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अमीरों पर कर बड़ा कर सबको स्वास्थ्य शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाओं में सुधार करके गरीब और अमीर के बीच खाई कम की जा सकती है।
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