काफी सारे लोग इस बात को लेकर कन्फ्यूजन में रहते हैं कि अगर कोई बच्चा कोई अपराध करता है तो इसके लिए उसके सजा दी जाती है या फिर नहीं और जो अपराध वह करता है उसका असर उसके फ्यूचर पर पड़ता है या नहीं। तो आज के इस लेख में हम इसी विषय में जानेंगे।
सबसे पहले हम बात करते हैं कि अगर कोई बच्चा कोई अपराध करता है तो उसके लिए उसे सजा दी जाती है या नहीं। बच्चों द्वारा किए जाने वाले अपराध में सजा उनकी आयु के अनुसार तीन श्रेणियों में दी जाती है।
1- बच्चे की उम्र 7 वर्ष से कम होने पर सजा- आईपीसी सेक्शन 82 में यह क्लियर किया गया है कि अगर कोई भी 7 साल से छोटा बच्चा यदि कोई अपराध करता है तो वह क्राइम की कैटेगरी में नहीं आएगा और इसके लिए उसको कोई सजा नहीं दी जाएगी।
2- बच्चे की उम्र 7 वर्ष से 12 वर्ष के बीच होने पर सजा- आईपीसी सेक्शन 83 के अनुसार अगर कोई भी बच्चा जिसकी उम्र 7 वर्ष से 12 वर्ष के बीच है और वह क्राइम करता है तो यह देखा जाएगा कि वह बच्चा मैच्योर है या नहीं, यानी जो उसने क्राइम किया है वह उसके नेचर को समझता है भी या नहीं। अगर कोर्ट में यह प्रूफ हो जाता है कि वह एक मैच्योर बच्चा है और उसने जो काम किया है उसको वह समझ रहा था कि वह क्या कर रहा था तब उसको सजा दी जाएगी। लेकिन अगर वह अपने काम के नेचर को ही नहीं समझ रहा था, वह एक मैच्योर बच्चा नहीं है तब उसको कोई सजा नहीं दी जाएगी।
3- बच्चे की उम्र 12 वर्ष से 18 वर्ष के बीच होने पर सजा- अगर अपराध करने वाले बच्चे की उम्र 12 से 18 वर्ष के बीच है तो इसके लिए उसे निश्चित तौर पर सजा दी जाती है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में यह प्रोविजन किया गया है कि किसी भी 18 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चे को 3 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती है और सजा के बाद भी उसको जेल नहीं भेजा जाएगा बल्कि उसको रिमाइंड होम भेजा जाता है।
यदि किसी बच्चे को किसी अपराध के लिए सजा मिली हो तो सजा पूरी होने के बाद उसके आपराधिक रिकॉर्ड को मिटा दिया जाता है, मतलब अगर कोई बच्चा जिसकी उम्र 18 साल से कम है और वह कोई भी अपराध करता है तो उसका इफेक्ट उसके भविष्य पर नहीं पड़ता है। ऐसे बच्चे भविष्य में बालिक होने पर सरकारी योजनाओं या जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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