फास्टिंग का संस्कृत में सही नाम उपवास है। उपवास दो शब्दो से मिल कर बना हुआ है, उप+वास = उपवास। उप का अर्थ होता है सत्य और वास का अर्थ है रहना। उपवास का मतलब है सत्य यानी ईश्वर के करीब रहना, उसी को उपवास कहते हैं।
उपवास में अलग-अलग तरह के बहुत सारे नियम होते हैं, जैसे- आपको जाप करना है, कितनी बार पूजा करनी है, कोई धार्मिक किताब पढ़नी है और खाने में बहुत सारी पाबंदियां रहती है। उपवास में बहुत ही अलग तरह का खाना खाया जाता है जो आमतौर पर हम नहीं खाते है जैसे- मीठे आलू, मखाने की खीर इत्यादि। उपवास के समय इस तरह के भोजन करने का नियम इसलिए शुरू हुआ क्योंकि हमारे दैनिक भोजन में बदलाव आए। हम वह सारी चीजें खाएं जो हमारे आसपास मौजूद हैं, लेकिन हम दैनिक जीवन में शायद उनको नजरअंदाज करते है या फिर हमारा ध्यान उनकी तरफ जाता ही नहीं है।
अगर हम इस तरह से उपवास करेंगे श्रद्धा के साथ तो हम ईश्वर के करीब तो रहेंगे ही और फिर जरूर हमारे शरीर पर भी उसका असर होगा, हमारी हेल्थ भी इंप्रूव होगी। लेकिन अगर हम सिर्फ वेट लॉस के चक्कर में फास्टिंग करेंगे तो फिर उसका कोई ज्यादा मतलब नहीं है। आपकी क्या राय है इस बारे में हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
उपवास में अलग-अलग तरह के बहुत सारे नियम होते हैं, जैसे- आपको जाप करना है, कितनी बार पूजा करनी है, कोई धार्मिक किताब पढ़नी है और खाने में बहुत सारी पाबंदियां रहती है। उपवास में बहुत ही अलग तरह का खाना खाया जाता है जो आमतौर पर हम नहीं खाते है जैसे- मीठे आलू, मखाने की खीर इत्यादि। उपवास के समय इस तरह के भोजन करने का नियम इसलिए शुरू हुआ क्योंकि हमारे दैनिक भोजन में बदलाव आए। हम वह सारी चीजें खाएं जो हमारे आसपास मौजूद हैं, लेकिन हम दैनिक जीवन में शायद उनको नजरअंदाज करते है या फिर हमारा ध्यान उनकी तरफ जाता ही नहीं है।
अगर हम इस तरह से उपवास करेंगे श्रद्धा के साथ तो हम ईश्वर के करीब तो रहेंगे ही और फिर जरूर हमारे शरीर पर भी उसका असर होगा, हमारी हेल्थ भी इंप्रूव होगी। लेकिन अगर हम सिर्फ वेट लॉस के चक्कर में फास्टिंग करेंगे तो फिर उसका कोई ज्यादा मतलब नहीं है। आपकी क्या राय है इस बारे में हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
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