विंग कमांडर अभिनंदन को ज़िंदा वापस भेजने का फैसला करके पाकिस्तान से कोई भूल तो नहीं हुई ऐसा मानने वाले पाकिस्तान के ट्रैप में फंस गए हैं, जानिए कैसे। पाकिस्तान को पतली गली से कैसे निकलना है उसको अच्छे से पता है, क्योंकि मेन रोड से चलना ताकतवर देश का काम है किसी कमजोर का नहीं। मतलब पाकिस्तान से बेहतर जेनेवा कन्वेंशन शायद ही कोई और समझे।
दरअसल पाकिस्तान अभी दुनिया और भारत के सामने हर रोज गिड़गिड़ा रहा है। वह हर मुमकिन कोशिश कर रहा है जिससे की आतंक की दुकान बंद किए बगैर यह प्रचंड संकट के बादल उसके ऊपर से छट जाए। स्पष्ट है कि बहुत आसानी से वहां के लोग विंग कमांडर अभिनंदन को दुर्घटना में मृत बता देते और प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अपना पल्ला झाड़ लेते। लेकिन पाकिस्तान ऐसा कुछ नहीं किया क्योंकि अगर पाकिस्तान ऐसा करता पाकिस्तान की बारगेनिंग पॉवर कम हो जाती और पाकिस्तान अपना विक्टिम कार्ड नहीं खेल पाता।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक तरफ शांति का हवाला देकर भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा कर दिया है और साथ ही दावा करते हैं कि वह तैयार है आतंक के मुद्दे पर बात करने के लिए, लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रही है। पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को सरबजीत और मेजर सौरभ कालिया के साथ हुए वाक़िए से आसानी से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में आखिर कितना अंतर है।
इतिहास गवाह है कि जब भी पाकिस्तान से आतंक पर कार्रवाई की मांग की गई तो पाकिस्तान सबूतों का रोना लेकर बैठ जाता है। इससे पहले भी 26-11 जैसे बड़े हमले के सबूतों को सौंपा गया था लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर पाकिस्तान मौन ही बना रहा। अब देखने वाली बात होगी कि क्या अभिनंदन के वापस आ जाने से भारत पाकिस्तान को छोड़ देगा? क्या पुलवामा हमले में जवानों की शहादत पर भारत खामोश बैठेगा। आपकी क्या राय है इस विषय पर हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
दरअसल पाकिस्तान अभी दुनिया और भारत के सामने हर रोज गिड़गिड़ा रहा है। वह हर मुमकिन कोशिश कर रहा है जिससे की आतंक की दुकान बंद किए बगैर यह प्रचंड संकट के बादल उसके ऊपर से छट जाए। स्पष्ट है कि बहुत आसानी से वहां के लोग विंग कमांडर अभिनंदन को दुर्घटना में मृत बता देते और प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अपना पल्ला झाड़ लेते। लेकिन पाकिस्तान ऐसा कुछ नहीं किया क्योंकि अगर पाकिस्तान ऐसा करता पाकिस्तान की बारगेनिंग पॉवर कम हो जाती और पाकिस्तान अपना विक्टिम कार्ड नहीं खेल पाता।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक तरफ शांति का हवाला देकर भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा कर दिया है और साथ ही दावा करते हैं कि वह तैयार है आतंक के मुद्दे पर बात करने के लिए, लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रही है। पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को सरबजीत और मेजर सौरभ कालिया के साथ हुए वाक़िए से आसानी से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में आखिर कितना अंतर है।
इतिहास गवाह है कि जब भी पाकिस्तान से आतंक पर कार्रवाई की मांग की गई तो पाकिस्तान सबूतों का रोना लेकर बैठ जाता है। इससे पहले भी 26-11 जैसे बड़े हमले के सबूतों को सौंपा गया था लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर पाकिस्तान मौन ही बना रहा। अब देखने वाली बात होगी कि क्या अभिनंदन के वापस आ जाने से भारत पाकिस्तान को छोड़ देगा? क्या पुलवामा हमले में जवानों की शहादत पर भारत खामोश बैठेगा। आपकी क्या राय है इस विषय पर हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
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