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Saturday, November 17, 2018

ये है भारत के वो मंदिर जहां पुरुषों का जाना है मना


नमस्कार दोस्तों, भारत का इतिहास बहुत पुराना है बात चाहे धर्मों की हो ये उन धर्मों के विश्वास और आस्था की हर सदी में भारत ने कुछ ना कुछ ऐसी विश्वास और आस्थाओं को माना है। जो कहने को तो वाजिब है और सुनने में भी बेहद अजीब लगती है। लेकिन फिर भी उन्हें आस्था का नाम देकर काफी वक्त तक माना गया है और आज भी वो रीति-रिवाज कायम है। और उन सभी रीति-रिवाजों का ख्याल भी रखा गया है। कुछ ऐसे ही रीति-रिवाजों कोआज हम इस लेख के माध्यम से लेकर आ रहे हैं। यह खबरआपको चौंका सकती है और साथ ही आपको सोचने पर मजबूर कर सकती है क्योंकि आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन मंदिरों के बारे में जहाँ पुरुषों का जाना सख्त मना है। ऐसे मंदिर जहां पुरुषों का जाना पूर्णतया वर्जित है।आइये जानते है। 
पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर- पहले बात करते है पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर की। बता दें आपको इस मंदिर में शादीशुदा पुरुषों का जाना कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूर्णतया वर्जित हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार क्योंकि यहां ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। तो ऐसे में पुरुषों के आने पर पाबंदी लगा दी जाती है।
अत्तुक्कल भगवती मंदिर- दूसरा मंदिर है केरला का अत्तुक्कल भगवती मंदिर देवी मां को समर्पित इस मंदिर में पोंगल के दौरान लगभग 30000000 महिलाएं एक साथ पूजा करती हैं। और इस दौरान पुरुषों का यहां आना पूर्णतया वर्जित हो जाता है।
संतोषी मां का मंदिर- तीसरा मंदिर है राजस्थान में स्थित संतोषी मां का मंदिर वैसे तो यहाँ पुरुष जा सकते है। लेकिन शुक्रवार को पुरुषों का मंदिर में पूजा करने और उनके प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंधी है ।
काली माता का मंदिर- चौथे मंदिर की बात करें तो बता दे की यह मंदिर बिहार का माता मंदिर है जहां पुरुषों का जाना कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है। और खासकर के नवरात्रों के समय पर जब मंदिर के पुजारियों तक को  इस मंदिर में  पूजा अर्चना की इजाजत नहीं दी जाती है।
कामाख्या मंदिर- आखिरी मंदिर की बात करें तो वह है कामरूप कामाख्या मंदिर यह अनोखा मंदिर भी पुरुषों को अपने परिसर में आने की इजाजत नहीं देता है। आपको बता दें कि लड़कियां यहां केवल अपने पीरियड के दौरान पूजा करती हैं। इस दौरान केवल महिला संत और संन्यासिन मंदिर की पूजा करती हैं।  इस मंदिर में माता सती के माहवारी कपड़े को बहुत शुभ माना जाता है और इसे भक्तों में बांटा जाता है। धन्यवाद।

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