नमस्कार दोस्तों, हम सभी के मन में यह सवाल आता है कि भगवान् शिव श्मशान में क्यों रहते हैं। क्यों भयंकर रूप धारण करके रहते हैं। नंदी की सवारी ही क्यों आदि-आदि। ऐसे ही सवाल कभी पार्वती जी के भी मन में थे और उन्होंने मौका देखकर शिव से पूछे लिया इन सवालों को। क्या आप जानना नहीं चाहेंगे इन सवालों के जवाब? महाभारत में भी जिक्र है शिव-पार्वती के बेच चले इस संवाद का । आज के लेख में हम आपको अदभुत, आश्चर्यजनक, रोमांचित कर देने वाली कहानी से रूबरू कराएंगे जिसमें जानकारी है शिव शंकर के विषय में।
शादी के बाद एक दिन सहसा पार्वती जी ने यह सभी सवाल भोलेनाथ जी से पूछे थे तो शिव जी ने एक-एक करके दिया था इनका पार्वती जी को जवाब। श्मशान में रहने के सवाल पर शिव जी ने पार्वती से कहा देवी शमशान सबसे पवित्र स्थान है। यहां लोगों का कम ही आना जाना होता है। श्मशान में शवों पर लिपटी पवित्र माला बिखरी रहती है। चंदन और तुलसी की लकड़ियों की खुशबू रहती है इसलिए मैं वहां रहता हूं। और मुझे वह स्थान प्रिय है। साथ ही में वहां रह कर श्मशान में निवास करने वाले भूत प्रेतों को वही रोके रखता हूं ताकि वह किसी मनुष्य को नुकसान ना पहुंचाएं। अपने कल्याण चाहने वाले को दोपहर 12 बजे दोनों संध्याओं के समय शमशान में नहीं जाना चाहिए। तपस्या करने वालों के लिए श्मशान उत्तम स्थान है।
तन पर राख लगाएं, बाघम्बर पहने, शरीर पर सांप लपेटे रहने, जटा और दाढ़ी मूछ धारी रखने के विषय में भगवान् शिव ने कहा की इस जगत में दो तत्व है सौम्य और अग्नि भगवान विष्णु सौम्य रूप धारण करते हैं। विष्णु सौम्य है और मैं अग्नि यानी रौद्र रूप। अगर मैं ऐसा ना करूं तो जगत का नाश हो जाए। पृथ्वी की मैंने राक्षसों से रक्षा की थी इसलिए उसने अपने पुत्र बैल को मुझे सवारी के लिए दिया था। प्रसन्न होने पर मैं अपने भक्तों को स्वर्ग मुक्ति तो क्या अमृत भी दे देता हूं। यह सुनकर पार्वती बड़ी प्रसन्न हुई और अपने पति की भूरी- भूरी प्रशंसा की। दोस्तों बोलिए हर हर महादेव। लेख आपको कैसा लगा आप हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताइए और इस लेख को लाइक अवश्य ही कीजिए। धन्यवाद।
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