नमस्कार दोस्तों, आप सभी का स्वागत है। आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे अक्षय नवमी जिसे आंवला नवमी कहा जाता है। वर्ष 2018 में कब है। इसका महत्व क्या है और पूजा की विधि क्या है। अक्षय नवमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इसे आंवला नवमी भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान बताया गया है। मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिवजी का निवास होता है।
मान्यता है की माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को भगवन विष्णु और शिव जी मान कर आंवले के पेड़ के निचे पूजा की थी। उसी समय से आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन प्रात सुबह उठकर आंवले के वृक्ष के नीचे साफ सफाई करनी चाहिए। स्नान आदि करके आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन करना चाहिए। पूजन के बाद आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध का अर्घ देना चाहिए। इसके बाद पेड़ के चारों और कच्चा सूत बांधना चाहिए। कपूर धूप आदि से आरती करें परिक्रमा करें। ब्राह्मण को भोजन करा कर दान करें। इस दिन का दान का बहुत ज्यादा महत्व होता है।
इस दिन यदि आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मण को खिलाए तो पुण्य ज्यादा होता है। अगर वहां पर बनाना संभव न हो तो घर से बना कर वहां ले जाइए और ब्राह्मण को वही पेड़ के नीचे खिला कर दान दक्षिणा देकर फिर स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन के समय भी मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। शास्त्रों में बताया है कि अगर भोजन करते समय आंवला का पत्ता थाली में गिरे तो बहुत शुभ होता है और आने वाले साल में व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
वर्ष 2018 में अक्षय नवमी 17 नवंबर दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन की पूजा से अखंड सौभाग्य, आरोग्य, संतान एवं सुख की प्राप्ति होती है। अगर आप लोग से यह संभव ना हो कि आंवले के वृक्ष के निचे खाना बना के ले जाए। आंवले के पेड़ के नीचे खाना खाएं। तो उस दिन एक आंवला का सेवन जरूर करना चाहिए। यह बहुत अच्छा होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी और शास्त्रों के अनुसार भी। धन्यवाद।
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