नमस्कार दोस्तों, 27 अक्टूबर बहुत ही ख़ास दिन है क्योंकि इस दिन प्यार, श्रद्धा और समर्पण का त्यौहार करवा चौथ है। करवा चौथ का व्रत भारत में कई स्त्रियां रखती है। अपने पति की लंबी उम्र के लिए दोस्तों कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता जहां पूरा देश इस त्यौहार की तैयारी में जुटा है वही हमारे देश में एक जगह ऐसी भी है जहां मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं का सुहाग उजड़ जाता है, आइये आज के इस लेख में जानते है इस जगह और इस मान्यता के पीछे रहस्य के बारे में।
सुरीर के मोहल्ला बघा में महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं लेती हैं। यहाँ यह परंपरा सदियों से चली आ रही है दरसल इस जगह करवा चौथ का व्रत न रखने के पीछे वजह है । बताया जाता है आज से 200 वर्ष पहले करवा चौथ के ही दिन गांव रामनगला का एक व्यक्ति अपनी पत्नी को ससुराल से गौने में विदा करा कर सुरीर के रास्ते भैंसा बुग्गी से गांव लौट रहा था। सुरीर में कुछ लोगों ने उसकी भैंसा बुग्गी रोक ली और भैंसा को अपना बताते हुए उससे झगड़ा करने लगे और उस युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी।
अपने पति की मौत से स्तब्ध उसकी नवविवाहिता पत्नी वहीं अपने पति की चिता के साथ सती हो गयी थी और मरते समय उसने श्राप दिया कि इस मोहल्ले की कोई महिला करवा चौथ का व्रत रखेगी, तो वह उसकी तरह ही विधवा हो जाएगी। बताया जाता है कि इसी सती के श्राप की वजह से अगले करवा चौथ में कई दुर्घटनाये हुई और इस जगह की कई नवविवाहिताएं विधवा हो गईं थी । ऐसा होता देखकर इस मोहल्ले के बुजुर्गो ने इसे सती का श्राप मान कर गलती के लिए क्षमा मांगी। और तभी से इस जगह कोई भी महिला करवा चौथ का व्रत नहीं लेती हैं और न ही इस दिन किसी भी तरह का श्रंगार करती हैं। रामनगला के लोग सुरीर का पानी तक नहीं पीते हैं। सुरीर मोहल्ले के लोगों ने सती का मंदिर भी बनवाया है और आज भी मोहल्ले के युवक अपनी शादी से पहले सती की पूजा करते हैं।
मोहल्ला की कई नवविवाहित अपने सुहाग की सलामती के लिए वे व्रत रखना चाहती थी, लेकिन जब उन्हें इस परंपरा के बारे में बताया गया तो उन्होंने श्राप के डर से व्रत न रखने का फैसला लिया। दोस्तों आपका क्या कहना है इस परंपरा के बारे में कमेंट में जरूर बताएं ।
मोहल्ला की कई नवविवाहित अपने सुहाग की सलामती के लिए वे व्रत रखना चाहती थी, लेकिन जब उन्हें इस परंपरा के बारे में बताया गया तो उन्होंने श्राप के डर से व्रत न रखने का फैसला लिया। दोस्तों आपका क्या कहना है इस परंपरा के बारे में कमेंट में जरूर बताएं ।
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