नमस्कार दोस्तों, आप सभी का स्वागत है। दुनिया भर में कई जगह विशालकाय लंबे पैरों के निशान पाए जाते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी ने धरती पर जहाँ- जहाँ कदम रखे वह उनके पैरों के निशान बन गए और यह निशान आज भी देखने को मिलते हैं। सिर्फ यह निशान ही नहीं हनुमान जी के इन पैरों के निशानों के आसपास और भी ऐसे कई सबूत मिलते हैं जो यह साबित करता है कि इन निशानों से जुड़ी मान्यताएं सच है। राजधानी दिल्ली से करीब 1278 किलोमीटर महाराष्ट्र का शहर नासिक बसा है। इसे नासिक से करीब 27 किलोमीटर दूर पवित्र त्रंबकेश्वर मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसी त्रंबकेश्वर से 6 किलोमीटर की दूरी पर हनुमान जी का वह जन्मस्थान भी है। जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं यहाँ एक गांव है जिसका नाम हनुमान जी की मां अंजनी के नाम पर रखा हुआ है।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इसी अंजनी गांव की पहाड़ियों में हनुमान जी का बचपन बीता था और इसी पहाड़ियों से हनुमान जी ने सूरज को निकलने के लिए आसमान की ओर लंबी छलांग लगाई थी। इस गांव से पैदल लगभग 3 घंटे की दूरी पर तीन पहाड़ चढ़ने के बाद मिलता है ऐसा तालाब जो 12 महीने पानी से भरा रहता है। इस तालाब का आकार पांव जैसा है और बताया जाता है कि हनुमानजी के बाएं पैर का निशान है। यहीं से उन्होंने एक पैर जमीन में दबाकर जोर से छलांग लगाई और सूर्य देव को फल समझकर मुंह में दबा लिया। जिस वक्त हनुमान जी ने छलांग लगाई थी उस वक्त सूरज आसमान में उग रहा था यानी कि उन्होंने पूर्व की दिशा में छलांग लगाई थी। खोजकर्ता ने जब कंपास की मदद से दिशा की खोज की तो उनको पता चला कि जिस दिशा में यह पंजा बना है। वह पूर्व दिशा ही है।
इस तालाब के पास ही एक गुफा है। यह वही स्थान है जहां अंजनी माता ने हनुमान जी को जन्म दिया था और यह बात सभी पुराण जैसे ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट रूप से लिखी गई है कि त्रंबकेश्वर के बगल में ब्रह्मागिरी के पास ऋषि मुख पर्वत पर अंजनी माता तपस्या करती थी। यही हनुमान जी का जन्म हुआ जो इस पैरों के निशान से जुड़ी आस्था को और भी पक्का कर देती है।
No comments:
Post a Comment