नमस्कार दोस्तों, हम सब रामायण से भलीभांति वाकिफ है। रामायण काल के दौरान घटित होने वाली लगभग सभी घटनाओं से परिचित है। लेकिन रामायण में रावण और राम के बाद का कोई भी वर्णन नहीं दिया गया है। आज हम आपको रामायण की लंका नगरी से जुड़ा एक ऐसा सच बताने जा रहे है जिसे जानने की जिज्ञासा हम सब में है। जैसा कि हम सबको ज्ञात है कि रामायण काल में उनका नगरी पूरी तरह से सोने से बनी हुई थी। एक स्वर्णिम नगरी को स्वयं विश्वकर्मा ने बनाया था। कहा जाता है कि रावण ने लगभग सभी देवताओं को बंदी बना रखा था और उसने ऐसे ऐसे विचित्र आविष्कार करवाए जिनकी आज के युग में भी घटना का पाना संभव नहीं है। रावण ने अपनी स्वर्ण नगरी को सभी सुख सुविधाओं से युक्त बनाया था लेकिन आज वह पूरी तरह से सोने से बनी नगरी आखिर कहां गई।
कहा जाता है कि इंग्लैंड एक समय ऐसा भी था कि वहां पर सभी घरों में बर्तनों के साथ चम्मच आदि भी सोने चांदी के बने होते थे और यह स्थिति द्वितीय विश्व युद्ध तक ऐसी ही थी और यह सारा सोना आया था इंडिया से। एक ब्रिटिश जहाज के कप्तान की किताब में वर्णन मिलता है कि 1872 के दौरान एक ब्रिटिश जहाज श्रीलंका के पूर्वी किनारे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसमें भारत से अंग्रेजों का लूटा खजाना था। उस जहाज ने कोलकाता से इंग्लैंड के लिए रवानगी की थी। लेकिन जहाज में खराबी की वजह से श्रीलंका के पूर्वी किनारे पर ही अटक गया और कुछ देर बाद ही आए भयंकर तूफ़ान ने उसे समुद्र में डुबो दिया था।
उस जहाज के कप्तान हेनरी राफेल ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए तूफ़ान आने से पहले ही जहाज छोड़ दिया और श्रीलंका सुरक्षित पहुंच गए थे। तूफान चले जाने के बाद उस जहाज को खोजने का कार्य प्रारंभ हुआ लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं था।1905 में ठीक उसी जगह जब ब्रिटिश गोताखोरों की टीम ने समुद्र में तलाशी अभियान चलाया उन्हें उस जहाज का सोना मिल गया था लेकिन जब सोने की जांच हुई तो उस पर जमी कोरल से यह अंदाजा हुआ कि यह सोना उस जहाज का नहीं बल्कि हज़ारों सालों से समुद्र में दबा कोई खजाना है। इस तलाशी अभियान को अब बहुत ही वृहद रूप में चलाया गया और कहा जाता है कि लगभग 185 जहाजों में यह सोना लाद कर ब्रिटेन ले जाया गया था । कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह सोना उसी श्री लंका नगरी का है जो हजारों वर्षों पहले समुद्र में समा गई थी।
हेनरी राफेल ने अपनी पुस्तक माई जर्नी ऑफ इंडिया ने दावा किया था कि शुरुआत में तलाशी अभियान का मैं भी एक सदस्य था। लेकिन जैसे ही हमारे जहाज का मलबा खोज लिया गया उन्होंने उसकी जांच के बाद उस जगह को सील कर दिया और उस जगह से इतना सोना निकलने लगा कि मेरे जहाज में लदा सोना उसके सामने कुछ नहीं था। जब मैंने माजरा समझना चाहा तो मेरा ट्रांसफर साउथ अफ्रीका कर दिया गया शायद यह प्राचीन भारत का कोई दबा पड़ा खजाना था।
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