असल में जेलों में कैदियों को कैसा खाना मिलता है यह राज्य पर निर्भर करता है कि राज्य सरकार अपने कैदियों पर कितना खर्च करना चाहती है। क्योंकि हमारे देश में जेलों के प्रबंधन का काम राज्य सरकार ही देखती है। एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकारें औसतन प्रत्येक कैदी 52 रुपये 42 पैसे खर्च करती है। जिसमे कैदियों को सुबह के नाश्ते के साथ दो टाइम का खाना भी मुहैया कराया जाता है। जम्मू-कश्मीर और नागालैंड की सरकारें अपने कैदियों पर सबसे अधिक खर्चा करती है तो वहीं दिल्ली, गोवा, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकार अपने कैदियों पर सबसे कम।
होम मिनिस्ट्री द्वारा मॉडल प्रिजन मैनुअल में यह गाइडलाइन दी गई है कि पुरुष कैदी को 2320 कैलोरी और महिलाओं को 1900 कैलोरी रोजाना मिलनी चाहिए। लेकिन जो प्लेट पर मिलता है वह बहुत ही बुरा होता है जैसे- पतली दाल, चार रोटी और कुछ साधारण चावल ही मिलते हैं। खाना लिमिटेड ही मिलता है इसलिए कुछ कैदी खाना बांट कर खाते हैं तो कुछ कैदी बाहर से खाना मंगाते हैं। लेकिन बाहर से खाना मंगाने के लिए स्पेशल परमिशन लेनी होती है। एक बार परमिशन मिलने पर आप कुछ लिमिटेड खाना ही बाहर से मंगा सकते हैं और यह परमिशन भी हर बार नहीं मिलती है।
जेल का नाम सुनते ही लोग डर जाते है, कई लोग तो सिर्फ इसलिए डर जाते हैं कि जेलों में बहुत ही बुरा खाना मिलता है। जेल में कैंटीन भी होती है जहां से कैदी खाना खरीद सकते हैं। कैदी हर महीने अपने घर से 2000 रुपये तक मंगा सकते हैं। इसके अलावा कैदी जो जेलो में काम करते हैं वहां से भी उन्हें पैसे मिलते हैं, तो उन पैसों से भी कैंटीन से खाना खरीद सकते है। तो नतीजा यह निकलता है की हर जेल में अलग तरह का खाना मिलता है। किसी जेल में काफी अच्छा खाना मिलता है तो किसी जेल में बहुत ही बुरा खाना मिलता है। तो दोस्तों अब तो आप समझ गए होंगे कि जेलों में कैसा खाना मिलता है। सही मायने में देखा जाये तो किस जेल में कैसा खाना मिलता है यह वहीं बेहतर बता सकता है जो उस जेल में रह चुका है।
उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपका क्या कहना है इस बारे में हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।
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