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Saturday, December 22, 2018

चाणक्य- इन ३ बातों से संतुष्ट रहने वाले व्यक्ति से करें विवाह, ये स्वर्ग का सुख देते है

आचार्य चाणक्य एक महान ज्ञानी के साथ-साथ एक अच्छे नीति कार भी थे। उन्होंने अपनी नीतियों में मनुष्य जीवन को सुखकर बनाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बातें बताई है। प्रत्येक मनुष्य को चाहिए की किन बातों को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए। जो भी मनुष्य ऐसा करता है वह जीवन में बड़ी से बड़ी मुश्किल आसानी से पार कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को 3 बातों से संतुष्ट रहने के लिए कहा है। जो भी व्यक्ति इन तीन बातों से संतुष्ट रहता है उसकी पत्नी सदा सुखी रहती है और स्त्रियों को भी ऐसे पुरुष से ही विवाह करना चाहिए। किसी भी पुरुष को जीवन में ईश्वर में आस्था रखकर कार्य करते रहना चाहिए। अपने मन में फलों की अपेक्षा का विचार नहीं करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कौन सी है वह तीन बातें जिनसे हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
संतोषषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्तव्यो अध्ययने जपदानयो:।।
आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में तीन बातों के बारे में बताया है जिनसे हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए।
स्वयं की पत्नी- आचार्य चाणक्य कहते हैं मनुष्य को सदा ही स्वयं की पत्नी से संतुष्ट रहना चाहिए। चाहे वह देखने में कितनी ही कुरूप क्यों न हो। क्योंकि पत्नी ही प्रत्येक कठिन परिस्थति में पति का साथ देती है। वह पति को किसी भी हालत में छोड़कर भाग नहीं जाती। उसका अपने पति के प्रति निष्ठा है और प्रेम भाव रहता है। वह अपने पति के ऊपर सबसे अधिक विश्वास करती है। किसी भी पुरुष को अपनी पत्नी की भावनाओं की कदर होनी चाहिए। उसे अपनी पत्नी से विश्वास के साथ प्रेम करना चाहिए। जो भी पुरुष अपनी पत्नी के सिवाय किसी अन्य औरत से संबंध बनाता है वह तुरंत नष्ट हो जाता है और पाप का भागीदार बन जाता है।
भोजन- मनुष्य को भोजन विधाता ने दिया है उसे संतुष्ट होकर ही ग्रहण करना चाहिए। भोजन करते समय भोजन तुच्छ है, यह स्वादिष्ट नहीं है ऐसी बातें कहकर भोजन का अपमान नहीं करना चाहिए। जो भी व्यक्ति विधाता से प्राप्त भोजन का अनादर करता है वह स्वयं विधाता का ही अपमान करता है और वह पाप का भागीदार बन जाता है। जो भी अन्ना आपको प्राप्त हो सके उसे बड़े सच्चे मन से ग्रहण करना चाहिए और उसी से स्वयं को संतुष्ट मान लेना चाहिए।
ईमानदारी से कमाया धन- आचार्य चाणक्य कहते हैं मनुष्य को उतना ही धन प्राप्त करना चाहिए जो उसे ईमानदारी से मिल रहा हो। किसी को लूटकर, झूठ बोलकर, दूसरों को कष्ट में डाल कर कमाया हुआ धन मनुष्य के पास नहीं टिकता है। एक न एक दिन उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। इमानदारी से कमाए हुए धन पर मनुष्य को अभिमान होता है और उसे खर्च करते समय मनुष्य के मन में कोई भय नहीं रहता। लेकिन चोरी करके कमाया हुआ धन मनुष्य को चैन से जीने नहीं देता। वह उसके जीवन में हमेशा मुश्किलें पैदा करता है। अतः हमेशा ध्यान में रखें ईमानदारी से मिले हुए धन से प्रत्येक मनुष्य को संतुष्ट रहना चाहिए। तो मित्रों यह थी वो तीन बातें जिनसे संतुष्ट रहने वाले व्यक्ति के साथ स्त्रियों का विवाह करना चाहिए। उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। ऐसी ही कई अन्य जानकारियों के लिए बने रहिए हमारे साथ। हमारे साथ जुड़ने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद, क्योंकि आप हैं तो हम हैं।

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