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Sunday, September 30, 2018

भगवान श्री कृष्ण जी से सीख लें ये बातें, जीवन सफल हो जाएगा

नमस्कार दोस्तों, हम सब के प्‍यारे नटखट नंदलाल श्री कृष्णा जी ने एक बालक, एक भाई, एक योद्धा, एक शिष्य, एक गुरु, एक चरवाहे, एक दूत और गोपियों के प्रिय के रूप में अपने जीवन में अनेक किरदार निभाए। उनकी लीलाओं को सुनकर ही हम बड़े हुए हैं। यही लीला हमे जीवन में अनेक शिक्षा देती है। श्रीकृष्ण जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें उन जैसे महान कार्य करने को प्रेरित होते हैं। आईये जानते है उनके जीवन से हमे और क्या-क्या शीक्षा मिलती है जिनसे मार्ग दर्शन पा कर हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है।


* भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा था कि हमारा जीवन भी एक युद्ध की तरह है। जहाँ हमें रोज लड़ना है। और लड़कर जीतना भी है।युद्ध में अगर सामने वाला धर्म के तरीके से युद्ध करे तो आप भी धर्म का पालन करें। लेकिन युद्ध जरुर करो,इससे डरकर भागों नहीं।
 * भगवान कृष्ण जी ने कभी मित्रता के बीच अपने मित्र सुदामा की गरीबी को नहीं आने दिया। इसलिए कहते हैं। कि  दोस्‍ती कृष्‍ण से करनी सीखनी चा‍हिए। और दोस्ती के रिश्तों में कभी अपने अहम को  बीच में नहीं लाना चा‍हिए।
* भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ हर मुश्किल परिस्थति में साथ देकर हमें यह शिक्षा दी कि दोस्त वही अच्छे होते हैं। जो कठिन से कठिन परिस्थिति में आपका साथ देते हैं। दोस्ती में शर्तों के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए आपको भी ऐसे लोगों से मित्रता करनी किये जो हर परस्थिति में आपका साथ दें।
 * भगवान श्री कृष्ण के अनुसार कर्म ही सबकुछ है। इसके बिना जीवन में आप कुछ प्राप्त नहीं कर सकते है। जीवन भर कृष्ण जी भटकते रहे थे। बस जीवन निर्वहन करने लिए श्री कृष्ण जी कर्म करते रहे। जो प्यार से मिलता था उनको अपना बना लेते थे। कृष्ण के जीवन का एक उद्देश्य का कर्म करना सिखाना है। 
* श्री कृष्णा जी ने हमे सिखाया की हमे हर परस्थिति का सामना प्रसन्न होकर करना चाहिए चिंतित हो कर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने गीता में  सिखाया है। 'क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे व्यर्थ में डरते हो?'
* महाभारत के युद्ध में यही पांडवों के पास भगवान श्री कृष्ण की दूरदर्शिता ना होती तो शायद ही पांडव युद्ध में जीत पाते। इसलिए जीवन में हम सभी को दूरदर्शी होना अति आवश्यक है। 
* भगवान श्री कृष्ण जी  ने हमें यह दिखाया कि मृत्यु ही जीवन का अंतिम सत्य है। मृत्यु का ज्ञान होते हुए भी हँसते हुए और प्रसन्न मन से पेड़ के नीचे बैठे और शिकारी के तीर से प्राण त्याग दिए। यहाँ इन्होनें हमें दिखाया कि हर आत्मा को अपनी यात्रा पूरी करनी ही होती है।
दोस्तों अगर इन बातों को समझ कर हम अमल में भी लायें तो श्री कृष्ण जी की कृपा और उनका आशीर्वाद हम पर सदा बना रहेगा।

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