नए साल में पीएम मोदी के इंटरव्यू को लेकर सियासत गर्मा गयी है जहां कांग्रेस ने इस पर खोदा पहाड़ निकली चुहिया का तंज कसा तो वहीं टीएमसी ने भी पीएम मोदी को धोखेबाज बता दिया। टीडीपी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने पीएम मोदी को खुली बहस की चुनौती दी है। सभी दलों ने पीएम मोदी पर ऐसे सवाल दागे जिसके जवाब उन्होंने अब तक नहीं दिए हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संतों और सहयोगियों के चौतरफा दबाव के बीच सवाल उठ रहे थे कि क्या सरकार 2019 में राम मंदिर मुद्दे का हल निकलेगी, क्या राम नाम के सहारे सत्ता में आई बीजेपी अध्यादेश लाएगी। इन सभी सवालो के बीच पीएम मोदी ने राम मंदिर को लेकर अपने बयान से साधु-संतों, शिवसेना और अपने सहयोगियों को निराश कर दिया है। उन्होंने कहा की राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश नहीं आएगा हम कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि हम बीजेपी के घोषणापत्र में कह चुके हैं कि कानूनी प्रक्रिया तहत राम मंदिर मुद्दे का हल निकला जायेगा।
पीएम मोदी के इस बयान पर घमासान छिड़ गया है। आरएसएस, साधु-संतों और शिवसेना ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। संग ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व में 2014 में बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए संविधान के दायरे में उपलब्ध सभी संभव प्रयास करने का वादा किया था। भारत की जनता ने उन पर विश्वास व्यक्त कर बहुमत दिया है और इस कार्यकाल में ही सरकार वादा पूर्ण करें ऐसी भारत की जनता की अपेक्षा है।
जहां आरएसएस ने मोदी सरकार को उसका वादा याद दिलाया तो वहीं हिंदुत्व पर अपना वर्चस्व दिखाने वाली शिवसेना ने भी जोरदार हमला बोला कि पार्टी ने कहा की भगवान राम से बड़ा कोई कानून नहीं मोदी सरकार इसी कार्यकाल में मंदिर बनवाएं।
साधु-संतों ने मोदी सरकार को हिलाने की चेतावनी दी है उन्होंने कहा की मंदिर नहीं तो फिर मोदी सरकार भी नहीं। पीएम मोदी ने नए साल की शुरुआत में बयान देकर यह सोचा था की अब विरोधियों का वार काम होगा लेकिन यह तो उल्टा ही पड़ गया साधु-संतों की चेतावनी मोदी सरकार पर भारी पड़ सकती है। आपका क्या कहना है इस बारे में? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
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